गुरुपुष्य योग से निर्मित शुभ कार्यों का उत्तम योग आज 21 नवंबर, 2024 को सुबह 06 बजकर 49 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।  

गुरुपुष्य योग, भारतीय ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण योग है, जिसे सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह योग गुरु (बृहस्पति) ग्रह और पुष्य नक्षत्र के संयोग से बनता है, जिसके स्वामी शनि है। माना जाता है कि इस योग में आरंभ किए गए कार्य न केवल सफल होते हैं, बल्कि दीर्घकाल तक लाभ भी प्रदान करते हैं। पुष्य को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र की साक्षी से किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं।  पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि व अधिष्ठाता देव बृहस्पति देव हैं। शनि के प्रभाव से इस नक्षत्र का प्रभाव स्थायी या लंबे समय तक होता है।

क्या है, गुरुपुष्य योग ?

गुरु अथवा बृहस्पति ग्रह को ज्ञान,समृद्धि और धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है, जबकि पुष्य नक्षत्र को शुभता और उन्नति का कारक। जब बृहस्पति ग्रह पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है, तब यह योग बनता है। यह योग बहुत ही पवित्र और मंगलकारी माना जाता है।

गुरुपुष्य योग के लाभ

शुभ कार्यों की शुरुआत: इस योग में विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार की शुरुआत, और नए कार्यों की योजना बनाना अत्यधिक फलदायी होता है।

धन और समृद्धि का योग: गुरुपुष्य योग में सोना, जमीन, और संपत्ति खरीदने से दीर्घकालिक लाभ मिलता है।धार्मिक कार्यों का महत्व: इस समय में पूजा-पाठ, दान, और धार्मिक अनुष्ठान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती

है।

आध्यात्मिक विकास: यह योग व्यक्ति की मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उपयुक्त समय है।

गुरुपुष्य योग में क्या करें?

भगवान् नारायण विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना करें। अपने गुरु अथवा योग्य गुरु समान व्यक्ति को प्रणाम कर उन्हें वस्त्र भेंट करें। उनका आशीर्वाद लें। 

नया व्यवसाय शुरू करें: व्यापार में सफलता की संभावनाएं बढ़ती हैं।

सोना खरीदें: ज्योतिष के अनुसार, इस योग में सोना खरीदना शुभ माना जाता है।

धन निवेश करें: इस समय निवेश किए गए धन से भविष्य में बेहतर लाभ होता है।

शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति: यह योग शिक्षा और नई विद्या सीखने के लिए भी उपयुक्त है।

गुरुपुष्य योग में क्या न करें?

किसी भी प्रकार का ऋण लेना या देना इस योग में अशुभ माना जाता है। विवादित कार्यों या किसी अन्य की हानि से जुड़े कार्यों से बचना चाहिए। किसी भी नकारात्मक या अनैतिक कार्य करने से गुरुपुष्य योग के शुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।

ज्योतिषीय महत्व

गुरुपुष्य योग को ‘राजयोग’ भी कहा गया है क्योंकि यह सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। विद्वानों के अनुसार, इस समय में किए गए कार्यों का सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर लंबे समय तक बना रहता है।

यह योग हर व्यक्ति के जीवन में उन्नति और समृद्धि लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह योग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए अच्छा माना गया है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं, तो गुरुपुष्य योग का सदुपयोग अवश्य करें और अपने जीवन को सफलता और समृद्धि से भरें।